
अटारी-वाघा सीमा बंद:
बादाम, किशमिश, पिस्ता और अन्य सूखे मेवे भारतीय खानपान और परंपरा का अभिन्न हिस्सा हैं। चाहे वह मिठाइयों का स्वाद बढ़ाना हो या सर्दियों में पोषण देना, इनका उपयोग हर घर में होता है। लेकिन हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और अटारी-वाघा सीमा के बंद होने से इन आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में तेजी आ सकती है।
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1.भारत-अफगानिस्तान व्यापार पर असर
अफगानिस्तान भारत के लिए सूखे मेवों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक भारत ने अफगानिस्तान से लगभग 358 मिलियन डॉलर के सूखे मेवे आयात किए, जबकि अफगानिस्तान को कुल निर्यात 264.15 मिलियन डॉलर का था। यह व्यापार मुख्य रूप से अटारी-वाघा सीमा बंद हुई तो उसके ज़रिए होता है, जो अब पूरी तरह बंद कर दी गई है।
2.क्या महंगे होंगे सूखे मेवे?
दिल्ली की खारी बावली, जो देश की सबसे बड़ी सूखे मेवे की मंडी है, वहाँ के व्यापारी संघ के अध्यक्ष राजीव बत्रा ने बताया कि “हालांकि अभी तत्काल कोई असर नहीं दिखेगा क्योंकि फिलहाल कुछ माल ट्रांजिट में है, लेकिन दस दिनों के भीतर आयात रुक जाएगा।” उनके अनुसार, इसके बाद सूखे मेवों की कीमतों में 20% तक की वृद्धि हो सकती है। अटारी-वाघा सीमा बंद होते सूखे मेवे महंगे हो सकते है।
3.वैकल्पिक मार्ग की उम्मीद
इस संकट से निपटने के लिए व्यापारी वैकल्पिक मार्गों की ओर देख रहे हैं। संयुक्त अरब अमीरात, ईरान और इराक जैसे देशों से अफगान माल के पुनः निर्यात की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, यह प्रक्रिया समय लेने वाली और महंगी हो सकती है, जिससे कीमतों पर और अधिक असर पड़ेगा। अटारी-वाघा सीमा बंद होते नए मार्ग की उम्मीद है।
4.सीमा बंदी का कारण
अटारी-वाघा सीमा बंद करने का फैसला उस हमले के बाद लिया गया जिसमें 26 लोग, जिनमें ज़्यादातर पर्यटक थे, पहलगाम में मारे गए। इसके जवाब में भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए अटारी सीमा से व्यापार को रोक दिया। पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत के साथ सभी व्यापारिक संबंध निलंबित कर दिए, जिससे तीसरे देशों के जरिए होने वाला व्यापार भी प्रभावित हो गया। यह अटारी-वाघा सीमा बंद का कारण है।
निष्कर्ष: इस परिस्थिति ने भारतीय बाजार में एक अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है। यदि वैकल्पिक आपूर्ति मार्ग जल्द नहीं स्थापित हुए, तो त्योहारों और सर्दियों में सूखे मेवों के दाम आम आदमी की पहुंच से बाहर हो सकते हैं। उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे ज़रूरत के अनुसार इन वस्तुओं को समय रहते खरीदें और मूल्य वृद्धि के लिए तैयार रहें।
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