केरल जहाज दुर्घटना: तेल रिसाव से पर्यावरणीय संकट की आशंका

केरल जहाज दुर्घटना: तेल रिसाव से पर्यावरणीय संकट की आशंका

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केरल जहाज दुर्घटना: हाल ही में केरल के तट पर एक बड़ा समुद्री हादसा हुआ है, जिसने न केवल समुद्री यातायात बल्कि पर्यावरणीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है। लाइबेरियाई ध्वजवाहक मालवाहक जहाज MSC ELSA 3 के डूबने के बाद अब समुद्र में तेल रिसाव की पुष्टि हुई है, जिससे पूरे क्षेत्र में चिंता की लहर दौड़ गई है।

क्या है मामला?

भारतीय तटरक्षक बल ने जानकारी दी है कि MSC ELSA 3 नामक यह कंटेनर पोत 13 कंटेनरों में खतरनाक माल ले जा रहा था, जिनमें से 12 में कैल्शियम कार्बाइड था। इसके अलावा जहाज के टैंकों में लगभग 84 टन डीजल और 367 टन फर्नेस ऑयल था। बताया जा रहा है कि यह जहाज ‘बाढ़’ के कारण डूब गया।

चालक दल सुरक्षित, लेकिन खतरा बरकरार

इस जहाज पर कुल 24 चालक दल के सदस्य सवार थे, जिनमें एक रूसी, दो यूक्रेनी, एक जॉर्जियाई और 20 फिलीपींस के नागरिक शामिल थे। राहत की बात यह है कि सभी सदस्यों को समय रहते सुरक्षित बचा लिया गया। तीन सदस्क , मुख्य अभियंता और द्वितीय अब भी जहाज पर मौजूद हैं ताकि बचाव अभियान में मदद कर सकें।

तेल रिसाव से बढ़ा पर्यावरणीय संकट

भारतीय एजेंसियों ने केरल तट के पास जहाज के डूबने के बाद समुद्र में तेल फैलता देखा है। हालांकि मानसून की शुरुआती बारिश के कारण तेल रिसाव की सीमा और प्रभाव का आकलन करना मुश्किल हो गया है। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति की निगरानी के लिए अत्याधुनिक तकनीक से लैस विमान और प्रदूषण नियंत्रण जहाज तैनात किए गए हैं।

जैव विविधता और पर्यटन पर खतरा

जहां जहाज डूबा है, वह क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से बेहद समृद्ध है और भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इसलिए इस दुर्घटना का संभावित प्रभाव समुद्री जीवन, पर्यावरण और पर्यटन उद्योग पर भी पड़ सकता है।

राज्य की प्रतिक्रिया

सरकार ने इस आपदा को गंभीरता से लेते हुए राज्यव्यापी आपातकाल की घोषणा की है। तटीय जिलों को सतर्क कर दिया गया है और मछुआरों समेत स्थानीय जनता को समुद्र से दूर रहने की सलाह दी गई है।

निष्कर्ष: यह घटना न केवल एक समुद्री दुर्घटना है, बल्कि एक पर्यावरणीय चेतावनी भी है। जब तक तेल रिसाव को पूरी तरह नियंत्रित नहीं किया जाता, तब तक समुद्री जीवन, स्थानीय आजीविका और पर्यटन को गंभीर खतरा बना रहेगा। भारतीय तटरक्षक बल और अन्य एजेंसियां स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन इस घटना ने समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की ओर हमारे नजरिए पर फिर से विचार करने की आवश्यकता को उजागर किया है।

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