
जिग्नेशदादा राधे राधे: “श्रीमद्भागवत कथा — पितृ स्मृति में भक्ति का महायज्
1. श्रीमद्भागवत कथारूप ज्ञान यज्ञ — पितृ स्मृति में दिव्य आयोजन
जिग्नेशदादा राधे राधे: श्री समस्त काकलोतार परिवार द्वारा आयोजित यह पावन प्रसंग भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अखंड भक्ति से भीगने हेतु पितरों की स्मृति में एक दिव्य अवसर बनकर सभी भक्तों के लिए उल्लास और आनंद का कारण बना है।
परम पूज्य संत श्री बजरंगदास बापा, पूज्य धर्मभूषण श्री राजेन्द्रदास बापू एवं पूज्य करशनदास बापू के आशीर्वाद से प्रारंभ होने वाली यह पवित्र कथा, तापी तट पर बसे पवित्र स्थल “सूरत” में संपन्न होगी।
2. जिग्नेशदादा राधे राधे: कथा प्रसंग के मुख्य अंश
कथा वाचक: परम पूज्य श्री जिग्नेशदादा ‘राधे राधे’
तिथि: 21 अप्रैल से 27 अप्रैल, 2025
समय: प्रतिदिन दोपहर 2:00 से शाम 6:30 बजे तक
स्थान: लाडली फार्म के पास, नानी वेड रोड, कतारगाम, सूरत
Live दर्शन के लिए: www.lakshya.tv
3. कथा का आधार — भागवतजी का पहला अध्याय: भक्ति और नारदजी का समागम
अर्थात, श्रीकृष्ण सच्चिदानंद स्वरूप हैं — जो जगत की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश के कारण हैं तथा तीन प्रकार के तापों को नष्ट करने वाले हैं।
कथा के प्रथम अध्याय में बताया गया है कि शुकदेवजी, जिनके सभी कर्म समाप्त हो चुके थे, वे संसार से विरक्त होकर निकले। उनके ब्रह्म में लीन हो जाने के कारण वृक्षों ने भी उन्हें उत्तर नहीं दिया — ऐसी यह कृष्णलीला और ज्ञान की कथा देवताओं के लिए भी दुर्लभ है।
4. श्रीमद्भागवत — अमृत के समान कथा
जैसे दुःखों से परेशान जीव के लिए अमृत अनिवार्य है, वैसे ही कलियुग के अंधकार में भागवत कथा मोक्ष का प्रकाश बनकर उभरती है।
शुकदेवजी ने मंत्र बोला था:जिस समय शुकदेवजी राजा परीक्षित को कथा सुना रहे थे, उस समय देवता भी अपने अमृत को छोड़कर इस कथारूप अमृत को प्राप्त करने के लिए खड़े थे — लेकिन उन्हें यह कथा प्राप्त नहीं हो सकी, क्योंकि यह कथा भक्ति रहित वाणी के लिए नहीं है।
5. भागवत कथा का महत्व
पूर्व में ब्रह्माजी ने भी इस कथा का तुलनात्मक मूल्यांकन किया था और बताया कि सभी साधनों की तुलना में भागवत भारी पड़ती है।
यह कथा केवल सात दिनों में ही श्रवण द्वारा मोक्ष प्रदान करती है।
देवताओं के लिए भी दुर्लभ यह ज्ञान और भक्ति से परिपूर्ण ग्रंथ का पठन जीवन को ऊर्ध्वगामी बनाता है।