जिग्नेशदादा राधे राधे:
जिग्नेशदादा राधे राधे:संतों, महंतों और महापुरुषों के आशीर्वाद से सुशोभित, दिव्य सत्संग कथा का अद्भुत लाभ अब आप अपने घर बैठे भी उठा सकते हैं…यह कथा समर्पित है पूरे वाला परिवार के पितृजनों की स्मृति में, एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि के रूप में।परम पूज्य श्री जिग्नेशदादा ‘राधे राधे’ की दिव्य, भावभरी वाणी से बहने वाली श्रीमद्भागवत की अमृतमयी कथा…

1. जिग्नेशदादा राधे राधे: श्रीमद्भागवत कथा का पावन प्रसंग
तारीख: 13 अप्रैल से 19 अप्रैल 2025समय: प्रतिदिन प्रातः 9:00 से दोपहर 1:00 बजे तकस्थान: पटेल वाड़ी, बुचरवाड़ा (दीव) – सरकारी प्राइमरी मिडिल स्कूल के सामने
आप सभी श्रद्धालु भक्तों को अंतःकरण से आमंत्रण है, इस अमूल्य आध्यात्मिक यात्रा में सहभागी बनने हेतु, जहां परम पूज्य श्री जिग्नेशदादा ‘राधे राधे’ की दिव्य वाणी से श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा प्रवाहित होगी।
यह कथा वाला परिवार के समस्त पितरों की स्मृति में समर्पित है – एक श्रद्धासुमन के रूप में।जिग्नेशदादा की वाणी केवल शब्द नहीं है, वह हृदय से निकलने वाली भावना है, जहां जीवात्मा ब्रह्मस्वरूप की ओर अग्रसर होती है।आइए, आत्मा के तत्वज्ञान के दृष्टिकोण से जीवन को समझें
2.श्रीमद्भागवत महात्म्य के कुछ तत्वदर्शी संदेश
1. “अहमेवासमेवाग्रे…”सृष्टि के आरंभ और अंत में भी केवल “मैं” ही हूँ – एक सर्वव्यापी, अद्वितीय सत्ता। तीनों कालों में जो था, है और रहेगा – वह परमसत्ता।
2. “ऋतेऽर्थ यत् प्रतीयेत न यात्मनि…”माया के प्रभाव से हम आत्मा का सच्चा स्वरूप नहीं देख पाते। शरीर, इंद्रियों और अंतःकरण के धर्म दिखते हैं, पर वह हमारा सच्चा स्वरूप नहीं हैं।
3. “यथा महान्ति भूतानि…”जैसे तत्व सृष्टि में प्रवेश करते हुए भी उससे अलग रहते हैं, वैसे ही परमात्मा सबमें रहते हुए भी उनसे जुड़े नहीं होते।
4. “एतावदेव जिज्ञास्यम्…”जो आत्मतत्व को जानना चाहता है, उसे केवल इतना जानना चाहिए कि जो सर्वत्र और सदा रहता है – वही परमसत्ता है।
इस पावन अवसर पर संतों, महंतों और महापुरुषों के आशीर्वाद के साथ सत्संग का लाभ लेने हेतु आप सपरिवार पधारें, यह विनम्र निमंत्रण है।
जहाँ भी हों, वहीं से इस दिव्य सत्संग से जुड़ सकते हैं।
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