नींद की गोलियों के खतरे: कैसे स्लीपिंग पिल्स आपकी उम्र 6 साल तक घटा सकती हैं?

नींद की गोलियों के खतरे: कैसे स्लीपिंग पिल्स आपकी उम्र 6 साल तक घटा सकती हैं?

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नींद की गोलियों के खतरे: जाने पूरी जानकारी।

नींद की गोलियों: निंद कभी जीवन का सबसे सहज सुख मानी जाती थी, लेकिन आज के तनावपूर्ण और व्यस्त जीवन में यह एक दुर्लभ विलासिता बन गई है। तमाम तकनीकी साधनों जैसे कि स्लीप ट्रैकर, व्हाइट नॉइज मशीन और स्मार्टवॉच के बावजूद, अनिद्रा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस समस्या ने बहु-अरब डॉलर के नींद की दवा उद्योग को जन्म दिया है।

नींद की गोलियां अनिद्रा से जूझ रहे लोगों के लिए एक त्वरित समाधान बन चुकी हैं। हालांकि इनके कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे में लोग जानते हैं, फिर भी बहुत से लोग नियमित रूप से इनका सेवन करते हैं। लेकिन अब एक नए शोध ने इस आदत के खतरनाक परिणामों की ओर इशारा किया है।

1.नींद की गोलियां और जीवन अवधि: डरावना सच

एल्सेवियर जर्नल स्लीप हेल्थ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, नींद की गोलियों के नियमित सेवन से आपकी जीवन अवधि 6 साल तक कम हो सकती है।

यह शोध लगभग दो दशकों तक 484,916 लोगों पर किया गया, जिनकी औसत उम्र करीब 40 वर्ष थी। अध्ययन में प्रतिभागियों की नींद की गुणवत्ता, नींद की अवधि और नींद की गोली के उपयोग का विश्लेषण किया गया, और इन आंकड़ों के आधार पर उनके अपेक्षित जीवन काल का आकलन किया गया।

2.नींद के पैटर्न के आधार पर श्रेणियाँ

शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को उनकी नींद की अवधि के अनुसार चार श्रेणियों में विभाजित किया:

अत्यंत कम सोने वाले (रात में 4 घंटे से कम)

कम सोने वाले (रात में 4-6 घंटे)

मध्यम सोने वाले (रात में 6-8 घंटे)

लंबे समय तक सोने वाले (रात में 8 घंटे से अधिक)

3.किस तरह की नींद सबसे सुरक्षित है?

अध्ययन में पाया गया कि मध्यम नींद लेने वाले, यानी जो लोग रोजाना 6 से 8 घंटे सोते थे, उनमें मृत्यु दर का जोखिम सबसे कम था। दूसरी ओर, अत्यधिक कम या अत्यधिक अधिक नींद लेने वालों में मृत्यु दर का जोखिम अधिक था।

लेकिन हैरानी की बात यह थी कि जो लोग 6-8 घंटे की पर्याप्त नींद लेते थे, लेकिन साथ में नींद की गोलियां भी लेते थे, उनमें गैर-उपयोगकर्ताओं की तुलना में 55% अधिक मृत्यु दर देखी गई।

पुरुषों और महिलाओं पर अलग प्रभाव

अध्ययन में यह भी पाया गया कि:पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 5.3 साल कम हो गई।

महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 5.7 साल कम हो गई।

इसके अलावा, नींद की गोली लेने वालों में कैंसर से मरने का जोखिम भी अधिक था।

4.नींद की गोलियाँ: तात्कालिक राहत, दीर्घकालिक नुकसान

पहले भी इस विषय पर शोध हो चुके हैं। 2012 में बीएमजे ओपन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि नियमित नींद की गोलियाँ लेने वाले व्यक्तियों में समय से पहले मृत्यु का जोखिम 3.5 गुना अधिक था। लंबे समय तक नींद की गोलियों का उपयोग हृदय रोग, कैंसर, और संज्ञानात्मक गिरावट जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

5.समाधान क्या है?

नींद की गोलियों पर निर्भर रहने के बजाय अनिद्रा के मूल कारण को समझना और उसका इलाज करना ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित है।

कुछ प्राकृतिक उपाय जो मदद कर सकते हैं:

सोने का एक नियमित समय निर्धारित करें।

सोने से पहले स्क्रीन टाइम सीमित करें।

ध्यान और योग का अभ्यास करें।

दिन में हल्का व्यायाम करें।

कैफीन और शराब का सेवन सीमित करें।

निष्कर्ष: नींद की गोलियाँ तात्कालिक राहत प्रदान कर सकती हैं, लेकिन उनका दीर्घकालिक उपयोग आपके स्वास्थ्य और जीवन काल पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। बेहतर नींद के लिए प्राकृतिक और स्थायी उपायों की तलाश करना ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।

स्वस्थ नींद, दीर्घ जीवन। नींद की गोलियों का सेवन नहीं करे।

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